जीवन खुजली है।
खुजली का अनुभव दुख है।
खुजाने का अनुभव सुख है।


खुजाने से खुजली मिट जाएगी ऐसा मानना माया है।
खुजाने के लिए जमा किए गए साधन संपत्ति है,
जिसके पास यह संपत्ति नहीं वो गरीब है।


खुजाने के लिए किसी साथी की तलाश कामना है,
ऐसे साथी से हमारा लगाव मोह है,
पारस्परिक रूप से खुजाने का प्रबंध परिवार है।


खुजली पर पनपने वाली व्यवस्था समाज है।
समाज से मिले दायित्व कर्तव्य हैं।
ग़रीबों को खुजाना सामाजिक सेवा है।


खुजाने से बने ज़ख़्म आदत हैं,
आदत में खुजाते चले जाना बेहोशी है,
बेहोशी में जीना मृत्यु है।


खुजाने के मजे से ऊब जाना वैराग्य है,
वैराग्य में खुजली को देखना आत्म अवलोकन है,
आत्म अवलोकन में आत्म को न पाना शून्यता है।


शून्यता में बने रहना निर्वाण है,
निर्वाण में खुजली से अपनी पहचान न जोड़ना शांति है।
इस शांति को दूसरों में बाँटना प्रेम है।
