शायद यह यात्रा आपको ठीक कर दे।
पर मेरी फुंसी को तो है।
प्रकृति के उपहार से बाज़ार के बहाव तक
मानवता के अजीब नृत्य पर एक बंदर की अंतर्दृष्टि